घटना कुछ इस प्रकार घटी थी-एक परिस्थितिजन्य क्षीणकाय शरीरधारी कवि ने जैसे ही धीमी गति वाले समाचार उद्घोषक के अंदाज में वीर रस की कविता पढ़ना शुरू किया, बेचारे के भाग्य ने कुछ ऐसा खिलवाड़ किया कि ध्वनि-विस्तारक यंत्रा से आवाज आना बंद हो गयी।
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हो सकता है कि कुछ समाचार उद्घोषक समाचार और संपादन के विद्याओं से जुड़े हों पर अभी तक समाचार पत्र पत्रिकाओं में उनके बारे में जो जानकारी पढ़ने को मिलती है उसके आधार पर तो यह नहीं कहा जा सकता कि वह कहीं पत्रकारिता जैसा कुछ कर रहे हों।
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टी वी पर बेंगलोर में लगे बिल्डिंग आग के जबरदस्त फुटेज को धड़कते दिल से देख रहे थे कि तभी समाचार उद्घोषक ने बताया कि आग में फंसे लोग ट्विटर पर जो वहां का आँखों देखा हाल बता रहे हैं, उसके अनुसार वहां धुंआ ही धुंआ है, भारी अफरा तफरी है.... इत्यादि इत्यादि...
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टी वी पर बेंगलोर में लगे बिल्डिंग आग के जबरदस्त फुटेज को धड़कते दिल से देख रहे थे कि तभी समाचार उद्घोषक ने बताया कि आग में फंसे लोग ट्विटर पर जो वहां का आँखों देखा हाल बता रहे हैं, उसके अनुसार वहां धुंआ ही धुंआ है,भारी अफरा तफरी है....इत्यादि इत्यादि... मेरा सर उन महान ट्विटकारों के प्रति श्रद्धा से झुक गया कि क्या आस्था और प्रतिबद्धता है इनकी......जान हथेली पर ले,बिना आग और जान की परवाह किये अन्दर का आँखों देखा बहार लोगों तक पहुंचा रहे हैं...
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टी वी पर बेंगलोर में लगे बिल्डिंग आग के जबरदस्त फुटेज को धड़कते दिल से देख रहे थे कि तभी समाचार उद्घोषक ने बताया कि आग में फंसे लोग ट्विटर पर जो वहां का आँखों देखा हाल बता रहे हैं, उसके अनुसार वहां धुंआ ही धुंआ है,भारी अफरा तफरी है....इत्यादि इत्यादि... मेरा सर उन महान ट्विटकारों के प्रति श्रद्धा से झुक गया कि क्या आस्था और प्रतिबद्धता है इनकी......जान हथेली पर ले,बिना आग और जान की परवाह किये अन्दर का आँखों देखा बहार लोगों तक पहुंचा रहे हैं...